Teacher\’s Day special STORY IN HINDI
Teacher\’s Day special STORY IN HINDI
- बिना गुरु के एकलव्य कैसे
गुरु-शिष्य की जोड़ी बरसो बुरानी है । दोनों की जोड़ी बोहत ही अहम् भूमिका सदियो से निभा रहे है, मेरा ये मानना है कि गुरु ही एक मात्र ऐसी एक सख्शियत होती है जिससे शिष्य कभी गुरु से आगे नही जा सकता वो सिर्फ गुरु के बताये हुते मार्ग पर चल कर कुछ बेहतर कर सकता है।
ऐसी आज हम इस ब्लॉग में शिक्षा देने वाली कहानी को पढ़ेंगे जो हमे जीवन मे बोहत कुछ सिखाने का प्रयाश करती है।
एक बार भारत के दक्षिण चोर में एक पाठशाला था जहाँ पे काफी 7 गुरु थे जो बच्चो को शिक्षा देते थे वे गुरु शिष्ययो को हल कला में नुपूर्ण बनाने का कार्य करते थे और ऐसे में सबसे महान ओर बड़े गुरु रामानंद थे, जो सबसे बड़े और महान माने जाने वाले गुरु थे वे सभी गुरुयो मे महान थे और शिष्ययो को कला सिखाने में उनके कोई जवाब नही ऐसे महा नायक थे।
एक बार उसी पाठशाला में एक दंपति का जोड़ा आया और आने बेटे को साथ ले, वे दंपति पाठशाला पोहच कर रामानंद जी से मिले और अपने बेटे महिपाल को उच्च शिक्षा देने के लिए आग्रह करने लगे।
रामानंदजी ने महिपाल को शिक्षा देने और हाल कला में निपुण करने के वादा करते हुए दम्पतियों को खुश किया ।
परंतु रामानंदजी को ये भनक भी नही थी कि महिपाल नाम का बच्चा बड़ा ही शैतान और उच्च बुद्धिमता वाला बच्चा था।
जैसे जैसे समय बीतता गया महिपाल सारे बच्चो से उभर कर बाहर आया पाठशाला के सारे गुरुजी महिपाल से खुश भी थे और परेशान भी खुश इसलिए थे कि वे महिपाल एक तेज और बुद्धिमान बच्चा था लेकिन दुखी इसलिये थे कि महिपाल एक घमंडी और अहंकारी बनता जा रहा था ये बात पाठशाला के सभी गुरुरजी को पता थी बजाए रामानंदजी को छोड कर।
महिपाल का अहंकार और घमंड उसके अस्तित्व की सीमा को लांध रहा था और महिपाल तलवारबाजी और धनुर्धारी में उसका कोई जवाब नही था वो बेशक एक महान योद्धा बनने के लाया था । ये बात माहीपाल भलीभांति जानता था एक दिन सारे शिष्ययो के सामने अपने महान होने के चर्चे गा रहा था तभी अचानक रामानंदजी आ जाते है वो महिपाल के बर्ताव को जानते नही थे क्योंकि वे पाठशाला के कामो में व्यस्त रहते थे लेकिन जब वे शिष्ययो के सामने अचानक आ जाते है तब वे कहते है कि क्या हुआ ? क्या बात चल रही है! तभी एक शिष्य बोलता है कि गुरुजी महिपाल अपने आप कक सबसे श्रेष्ठ और महान बता रहा है सायद वो आपसे भी महान बनने के योग्य बन गया है वो एक महान योद्धा है।
रामानंदजी समझ जाते है कि महिपाल नाम के शिष्य में अहंकार का बीज पनप गया है अगर इसे नही मिटाया गया तो ये अहंकार और घमंड इस शिष्य को खा जाएगा ।
रामानंदजी महिपाल को अपने कुशल और श्रेष्ठ होने का परिणाम देखने के लिए दोनों के बीच एक तलवारबाजी का कौसल रखते है।
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और एक दिन अभ्यास के लिए रखते है और महिपाल को कहते है कि कल तुहारा कौसल पूरा पाठशाला देखेगा की तुम कितने बड़े योद्धा हो।
महिपाल ने जब ये बात सुनी को वो आग बबूला हो गया उसके आन और शान की बात थी उसने गुरु का ये प्रस्ताव अपना लिया और रात भर अभ्यास करता रहा उससे ये बात शता रही थी कि रामानंदजी गुरु ईस्ट महान और कौसल तलवारबाज है फिर उन्होंने रात भर का अभ्याश क्यों कहा? जरूर इसके पीछे वजह होगी! ये सोच कर महिपाल रामानंदजी के कक्ष के बाहर जा कर खड़ा हो जाता है ,उतने में रामानंदजी को महसूस हो जाता है कि कक्ष के बाहर महिपाल शिष्य अपनी चतुरता बरतने आ गग है उन्होंने अभ्याश करते हुए बड़बड़ाते ये कहा कि में कल महिपाल की तलवार से बड़ी मेरी तलवार रखूंगा ताकि जब वो हमला करेगा में खड़े खड़े ही उसके गर्दन पे तलवार रख लार मुकाबला जीत जाऊंगा ये सुन कर महिपाल अपने मन मे योजन बनाता है और वी अपने तलवार की नोंक रामानंदजी के तलवार से बफ रखता है ।
दूसरे दिन मुकाबला शुरू होता है रामानंदजी की मयान बड़ी होती है और महिपाल की भी लेकिन जब महिपाल अपनी तलवार को मयान से निकालता है तक समय लगता है क्योंकि तलवार काफी बड़ी होती है लेकिन रामानंदजी तलवार मयान से निकाल ते है तो तलवार का आकार साधारण होगा है और रामानंदजी तुरंत ही महिपाल की गर्दन पे तलवार रख कर उसे पराजित कर लेते है।
महिपाल का घमंड और अहंकार पे उसे दुख होने लगा तब रामानंदजी महिपाल और सभी शिष्यो को कहते है कि गुरु की आज्ञा और मार्गदर्शन से शिष्य महान बनता है और अहंकार इंसान को खा जाता है.