परंतु साँपो से मत खेलो। ( story )
SNAKE STORY IN HINDI
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मेरे ही मित्रो के जीवन में साँपो के साथ हुए घटना को आपके समक्ष बताना चाहूंगा की, एक साँप किस प्रकार स्तति और जगह पर अपना रंग यानी की अपना व्यंव्हार बदल देते है।
और समय के साथ उन पर भरोसा करने वाले किस प्रकार पछताते है।
इस धरती पर साँप ही नही इंसान भी साँपो की तरह जहर उगलता है और उनकी तरह समय और स्तति पर बदल जाता है और सामने वाला भरोसा करने वाला इंसान उन सापरूपी इंसानो के कारण जीवन में बोहत कुछ खोता है।
मेरे मित्र निर्भय और निसंकोच होकर बैठे और साँप उनको किसी भी प्रकार की क्षति पहुचाये बिना ही पावो के ऊपर से चला गया। परंतु इसका मतलब ये नही था कि वन्य जानवर और पशु हमेशा ही मानवीय दया और और उदारता का वैसा की प्रतिउत्तर देते है।
एक वृद्ध व्यक्ति ने घटना सुनाई थी की बाढ़ के दिनों में एक बार गाँव पानी से भर जाता है। तब एक आदमी और एक छोटा सा साँप एक पेड़ पर ठहर गये तब सुबह हुई और उस आदमी को ढूढ़ने के लिए उसके मित्र आये और उस पेड़ पर उस आदमी को पाया वह आदमी नीचे उतर ही रहा था कि उतने में उसने देखा की चोट सा साँप मौत और ज़िन्दगी के बीच में झुंझ रहा है, और उसने उस साँप को कपडे में लिपटने की कोशिश की और उस साँप ने उसे डस लिया और उस आदमी की मौत हो गई।
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इस लिए इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि-
की साँप अगर शिव के मंदिर में आ जाए तो उसकी पूजा होती है और घर में आ जाए तो उसको मार के जला दिया जाता है इस से ये पता लगता है कि इज़्ज़त और परवाह इस्तति और समय पर निर्भर करती है।
और यही व्यवहार मानिवय जातियों के अंदर भी होती है क्योंकि की मानवीय जाती भी साँपो के जहर से कई गुना खरतनाक है।