महात्मा बुद्ध (Short inspirational STORY)
MAHATMA BUDDHA ULTIMATE TRUE STORY IN HINDI
महात्मा बुद्ध की इस कहानी से आपको ये पता लग जाएगा कि अक्सर लोग जल्दी सफल होने के बाद असफल हो जाते है ।
आप लोग समझ ही गये होंगे की अगर हम आज की इस सोशल दुनिया की और एक झलक देखे तो बॉलीवुड के चमकते सितारे कपिल शर्मा है, जिनके पास कम समय में काफी कुछ सफलता मिल चुकी थी। लेकिन कपिल सफलता को बरकरार नही रख सके और उन्होंने अपनी सफलता को अपने ही हाथों मार दिया।
महात्मा बुद्ध की इस कहानी के माध्यम से हम ये सीखेंगे की अहंकार मनुष्य को खा जाता है :-
एक समय की बात है एक गाँव में एक मूर्तिकार रहता था , वह मूर्तिकार इतना
BUDDHA ULTIMATE TRUE STORY IN HINDI
हुनरमंद था कि वह मूर्तिकार किसी की भी मूर्ति हूबहू बना लेता था और जिसके कारण वह मूर्तिकार आस पास के गावो और राज्य के प्रसिद्ध था।
मूर्तिकार कला में इतना माहिर बन गया कि उसे उसी गाव के राजा ने धन और सोने से लबो लब कर दिया, मूर्तिकार अत्यन्त प्रसन्न था, लेकिन उसे के चलते मूर्तिकार के मन में अहंकार का बीज उत्पन हो जाता है|
और वह मूर्तिकार अपने आस पास रहेने वाले लोगो से गृना करने लगता है और अपने आस पास के लोगो को अपने से तूच समझता था , चलते ही चलते उसका अहंकार इस कदर लोगो पे कहर बन गया कि वह राज्य के राजा को भी तूच समझने लगा ।
लोग उसके इस व्यवहार से परेशान थे और एक दिन मूर्तिकार अपने घर में मूर्ति बना रहा था।और एक पत्र उड़ते हुए खिड़की से मूर्तिकार के पास आ जाता है वह पत्र काफी अलग और अनोखा दिख रहा था।मूर्तिकार ने उसे उठाया और पत्र खोल के देखा तो उसमे लिखा था,
कल तुम्हे पास के नगर में महान मूर्तिकार से संमानित किया जाएगा, मूर्तिकार उसे देख कर ये समझ लेता है,किसी ने उसके साथ मज़ाक की है। और वह उस पत्र को फाड़ के फ़ेक देता है,
मूर्तिकार जब सुबह उठता है तो नगर के पास से कुछ सैनिक उसे लेने आते है जब वह सेनिको से पूछता है,कि क्या काम है तो वे बोलते है कि पास के राज्य के राजा ने आप को अदभुत मूर्तिकार के नाम से समानित किया है, वह काफी खुश हो जाता है।
दूसरे दिन उसे फिर से वैसा ही पत्र मिलता है जिसमे लिखा था कि तुम्हारी मुरती चोरी होने वाली है अब की बार मूर्तिकार उस पत्र को गहराई से ले लेता है और अपनी सारी कीमती मूर्ति छुपा लेता है उसी दिन उसके घर पर चोर पकडे जाते है, मूर्तिकार ये समझ चुका था कि पत्र में लिखी सारी बाते सत्य होती है
उसी दिन उसे रात को एक पत्र फिर मिलता है और उसमें लिखा था कि कल तूम्हे यमराज लेने आएंगे वह ये देख कर घबरा जाता है और फ़ौरन अपने आप को बचाने की तरकीब सोचता है वह मूर्तिकार अपने जैसी हूबहू मुर्तिया बना लेता है और कल उन मूर्तियों के साथ जाकर खड़ा हो जाता है
जब यमराज आते है तो वे बड़े परेशान हो जाते है कि अब वास्तविक मूर्तिकार कोन है जिसे मार कर यमपुरी में ले जाया जा सके । तभी यमराज जोर से बोलते है कि आज ब्रह्मदेव ने खुद मुझे उस महान मूर्तिकार को संमानित करने के लिए भेजा है अपितु बड़े खेद के साथ मुझे पृथ्वीलोक से खाली हाथ जाना पड़ेगा क्योंकि इतनी सारी मूर्तियों में वास्तविक मूर्तिकार पहेचान में नही आ रहा है ।
ये सारी बाते मूर्तियों के साथ खड़ा वास्तविक मूर्तिकार सुन लेता है और मन ही मन ये सोचने लगता है कि में कितना काबिल और योग्य इंसान हु किसी सामान्य इंसान की तरह नही हु खुद ब्रह्मदेव ने संमानित करने के लिए भेजा है ये सोच कर वह मूर्तिकार चिल्लाते हुए यमराज की तरफ आता है और हमराज उसे पकड़ कर मार के यमपुरी में लेके चला जाता है उस मूर्तिकार की मौत तो तय थी परंतु उसके अहंकार की वजहे से उसे जल्द ही मारना पड़ा ।
और वह मूर्तिकार अपने आस पास रहेने वाले लोगो से गृना करने लगता है और अपने आस पास के लोगो को अपने से तूच समझता था , चलते ही चलते उसका अहंकार इस कदर लोगो पे कहर बन गया कि वह राज्य के राजा को भी तूच समझने लगा ।
लोग उसके इस व्यवहार से परेशान थे और एक दिन मूर्तिकार अपने घर में मूर्ति बना रहा था।और एक पत्र उड़ते हुए खिड़की से मूर्तिकार के पास आ जाता है वह पत्र काफी अलग और अनोखा दिख रहा था।मूर्तिकार ने उसे उठाया और पत्र खोल के देखा तो उसमे लिखा था,
कल तुम्हे पास के नगर में महान मूर्तिकार से संमानित किया जाएगा, मूर्तिकार उसे देख कर ये समझ लेता है,किसी ने उसके साथ मज़ाक की है। और वह उस पत्र को फाड़ के फ़ेक देता है,
मूर्तिकार जब सुबह उठता है तो नगर के पास से कुछ सैनिक उसे लेने आते है जब वह सेनिको से पूछता है,कि क्या काम है तो वे बोलते है कि पास के राज्य के राजा ने आप को अदभुत मूर्तिकार के नाम से समानित किया है, वह काफी खुश हो जाता है।
दूसरे दिन उसे फिर से वैसा ही पत्र मिलता है जिसमे लिखा था कि तुम्हारी मुरती चोरी होने वाली है अब की बार मूर्तिकार उस पत्र को गहराई से ले लेता है और अपनी सारी कीमती मूर्ति छुपा लेता है उसी दिन उसके घर पर चोर पकडे जाते है, मूर्तिकार ये समझ चुका था कि पत्र में लिखी सारी बाते सत्य होती है
उसी दिन उसे रात को एक पत्र फिर मिलता है और उसमें लिखा था कि कल तूम्हे यमराज लेने आएंगे वह ये देख कर घबरा जाता है और फ़ौरन अपने आप को बचाने की तरकीब सोचता है वह मूर्तिकार अपने जैसी हूबहू मुर्तिया बना लेता है और कल उन मूर्तियों के साथ जाकर खड़ा हो जाता है
MAHATMA BUDDHA ULTIMATE TRUE STORY IN HINDI
जब यमराज आते है तो वे बड़े परेशान हो जाते है कि अब वास्तविक मूर्तिकार कोन है जिसे मार कर यमपुरी में ले जाया जा सके । तभी यमराज जोर से बोलते है कि आज ब्रह्मदेव ने खुद मुझे उस महान मूर्तिकार को संमानित करने के लिए भेजा है अपितु बड़े खेद के साथ मुझे पृथ्वीलोक से खाली हाथ जाना पड़ेगा क्योंकि इतनी सारी मूर्तियों में वास्तविक मूर्तिकार पहेचान में नही आ रहा है ।
ये सारी बाते मूर्तियों के साथ खड़ा वास्तविक मूर्तिकार सुन लेता है और मन ही मन ये सोचने लगता है कि में कितना काबिल और योग्य इंसान हु किसी सामान्य इंसान की तरह नही हु खुद ब्रह्मदेव ने संमानित करने के लिए भेजा है ये सोच कर वह मूर्तिकार चिल्लाते हुए यमराज की तरफ आता है और हमराज उसे पकड़ कर मार के यमपुरी में लेके चला जाता है उस मूर्तिकार की मौत तो तय थी परंतु उसके अहंकार की वजहे से उसे जल्द ही मारना पड़ा ।
इस कहानी की सिख- इस कहानी के माध्य्म से ये सिख मिलती है कि अहंकार मनुष्य को खा जाता है
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